आप सभी ने भारतीय तिरंगे झण्डे के मध्य अशोक चक्र को देखा होगा।इसे धर्मचक्र भी कहते हैं। ये सफेद पृष्ठभूमि पर नेवी ब्ल्यू कलर में होता है। जब महात्मा बुद्ध निर्वाण प्राप्ति के बाद वाराणसी आए तब उन्होने इस धर्मचक्र को जारी कर उनके पाँच शिष्य (पंचवर्गीय भिक्षु) अश्वजीत, महानाम, महानाम, कौंडीनया, भद्रक एवम् कश्यप को प्रथम उपदेश दिया था। इसी प्रथम उपदेश से प्रेरित होकर सम्राट अशोक ने अपने राज्य में सभी स्तंभों पर इस चक्र को खुदवाया था। इसे भवचक्र भी कहते हैं। इसमें २४ धारियाँ (Spokes) होती हैं। तिरंगे में धर्मचक्र को स्थान देकर हमने बौद्ध धर्म के प्रति अपनी गहरी आस्था का प्रदर्शन किया है।
- प्रियदर्शन शास्त्री
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