Friday, November 16, 2012

लाला लाजपत राय

लाला लाजपत राय गरम दल के एक युवा क्रांतिकारी। 17 नवम्बर 1928 साइमन कमीशन का विरोध एवं प्रदर्शन के दौरान पुलिस की लाठियों के वार से वे इस दुनिया से वीर सिपाही की तरह शहीद हो गए । उन्हें पंजाब केसरी कहा जाता है । गांधीजी के प्रिय नेता थे। उनकी मौत का बदला ठीक 17 दिसंबर को एक महीने बाद अंग्रेज़ पुलिस अधिकारी सांडर्स को भगतसिंह, राजगुरु एवं सुखदेव ने गोलियों से उडा लिया था। आज उनकी पुन्य तिथि पर उनको नमन करते हैं।

Saturday, October 27, 2012

भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक

      जब से कोयला घोटाला सामने आया है तब से एक शब्द मीडिया पर सुनने में बहुत आ रहा है- CAG अर्थात Comptroller and Auditor General (CAG) of India. हिन्दी में इन्हें "भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक" कहते हैं।  इसी स्वायत्त संवैधानिक संस्था की बदौलत देश कोयला घोटाले से रूबरू हो सका है। संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ भीमराव आंबेडकर के अनुसार- "नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का पद हमारे संविधान के अंतर्गत सबसे महत्त्वपूर्ण पद होगा वह सार्वजानिक धन का संरक्षक होगा और उसका ये कर्तव्य होगा कि वह यह देखे कि राज्य की संचित निधि में से समुचित विधानमंडल के प्राधिकार के बिना एक पैसा भी न खर्च न हो। वह अपने कर्तव्यो का निर्वहन समुचित रूप से कर सके इसके लिए आवश्यक है कि उसका पद कार्यपालिका (सरकार) के अधीनस्थ एवं नियंत्रण में नहीं रहना चाहिए।" आइये इस संस्था के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त करें। 
   जिस प्रकार चुनाव आयोग या न्यायपालिका हमारे देश के संविधान के अंतर्गत स्वतन्त्र एवं स्वायत्त संस्थाएं हैं उसी प्रकार CAG भी संविधान के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था है। नियंत्रक-महालेखा परीक्षक एक अधिकारी है जिसकी नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है परन्तु नियंत्रक-महालेखा परीक्षक को महाभियोग के द्वारा ही पद से हटाया जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 148 से लेकर 151 तक में इस सम्बन्ध में प्रावधान दिए गए हैं। CAG का मुख्य कार्य निम्न प्रकार हैं-
       1- केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों तथा उनके विधान सभाओं या प्रत्येक संघ क्षेत्र के द्वारा संचित निधि में से किये गए समस्त खर्चों की संपरीक्षा (Audit) कर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करना, ताकि ये देखा जा सके कि जो व्यय किये गए हैं वे विधि मान्य हैं कि नहीं ?
      2- राज्य एवं केंद्र की आकस्मिक निधि और लोक लेखाओं से किये गए समस्त व्यय की संपरीक्षा एवं रिपोर्ट तैयार करना।
       3- केंद्र तथा राज्य के विभागों द्वारा किये गए सभी व्यापार और विनिर्माण के हानि और लाभ की संपरीक्षा एवं रिपोर्ट तैयार करना।
      4- राज्य एवं केंद्र की समस्त आय-व्यय की ऑडिट कर रिपोर्ट प्रस्तुत करना। ऑडिट में ये देखा जाएगा कि राजस्व के निर्धारण, संग्रहरण और आवंटन में में पूरी तरह से क़ानूनी प्रक्रिया अपनाई गई है कि नहीं? 
       5- राज्य एवं केंद्र के राजस्व से पोषित निकायों, प्राधिकारियों, सरकारी कंपनियों, निगमों एवं निकायों के समस्त व्यय की ऑडिट कर रिपोर्ट प्रस्तुत करना। वर्तमान में CAG के अंतर्गत Indian Audit and Accounts Department, है जिसमें 58000 कर्मचारी पूरे देश में कार्यरत हैं। देश में CAG की अपनी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका हैं। कोयला घोटाले के अलावा और भी कई घोटाले हैं जो CAG के कारण उजागर हुए हैं उनमें 2G स्पैक्ट्रम प्रमुख है। वर्त्तमान भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक विनोद राय हैं। अक्सर देश के सविधान की आलोचना की जाती है परन्तु संविधान की ही यह एक व्यवस्था है जिसके कारण देश में चल रही सरकारी आर्थिक गड़बड़ियों का पकड़ा जा सका है। धन्यवाद। (All informations are based on books end different Links of internet)
   

Wednesday, October 10, 2012

First day (December 9, 1946) of the Constituent Assembly. From right: B. G. Kher and Sardar Vallabhai Patel;K. M. Munshi is seated behind Patel

Sunday, October 7, 2012

राष्ट्रिय ध्वज के रंग एवं चक्र का महत्त्व- डॉ.एस राधाकृष्णन

डॉ.एस राधाकृष्णन
राष्ट्रीय ध्वज
     राष्ट्रिय ध्वज के रंग एवं चक्र के महत्त्व को डॉ.एस राधाकृष्णन ने संविधान सभा, जिसने राष्ट्रीय ध्वज को सर्वसम्मति से स्वीकार किया, के समक्ष विस्तृत रूप से वर्णित किया था। डॉ. एस. राधाकृष्णन के अनुसार- "भगवाँ या केसरिया रंग त्याग एवम् निष्पक्षता को निर्दिष्ट करता है। हमारे नेतागण भौतिक लाभों के प्रति विरक्त होकर स्वयं के कर्तव्यों के प्रति समर्पित होनें चाहिए। मध्य में जो सफेद है वो प्रकाश है,  हमारे आचरण को मार्गदर्शित करने वाला सत्य का मार्ग है। हरा मिट्टी के साथ हमारे संबंध को दिखाता है, पौधों के जीवन के साथ हमारे संबंध को दिखता है जिस पर अन्य सभी के जीवन निर्भर हैं | अशोक चक्र सफेद के मध्य में है, धर्म की सत्ता का चक्र है। इस झंडे के नीचे जो काम करते हैं उनके नियंत्रण लिए सत्य और धर्म के सिद्धांत होने चाहिए। ये चक्र गति का संकेतक है। स्थिरता मृत्यु (समान) है, जीवन में गति है। भारत को और अधिक बदलाव को रोकना नही चाहिए, यह गतिमान होकर आगे ही बढ़ेगा। चक्र शांतिपूर्वक बदलाव की गतिशीलता का प्रतिनिधित्व करता है।"- Abstracted from -Flag Code of India (Original text is in English. Here translated by Priyadarshan Shastri)

Wednesday, October 3, 2012

धर्मचक्र

आप सभी ने भारतीय तिरंगे झण्डे के मध्य अशोक चक्र को देखा होगा।इसे धर्मचक्र भी कहते हैं। ये सफेद पृष्ठभूमि पर नेवी ब्ल्यू कलर में होता है। जब महात्मा बुद्ध निर्वाण प्राप्ति के बाद वाराणसी आए तब उन्होने इस धर्मचक्र को जारी कर उनके पाँच शिष्य (पंचवर्गीय भिक्षु) अश्वजीत, महानाम, महानाम, कौंडीनया, भद्रक एवम् कश्यप को प्रथम उपदेश दिया था। इसी प्रथम उपदेश से प्रेरित होकर सम्राट अशोक ने अपने राज्य में सभी स्तंभों पर इस चक्र को खुदवाया था। इसे भवचक्र भी कहते हैं। इसमें २४ धारियाँ (Spokes) होती हैं। तिरंगे में धर्मचक्र को स्थान देकर हमने बौद्ध धर्म के प्रति अपनी गहरी आस्था का प्रदर्शन किया है।
                                                                               - प्रियदर्शन शास्त्री

Thursday, September 6, 2012

           भारतीय संविधान की 'प्रस्तावना' (Preamble) में "प्रभुतासंपन्न, लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में भारत की अवधारणा की गई थी परंतु श्रीमती इंदिरा गाँधी के प्रधानमंत्रित्व काल में ४२वें संविधान संशोधन अधिनियम १९७६ के द्वारा "प्रभुतासंपन्न" शब्द को बदल कर "समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य" प्रतिस्थापित किया गया | इस प्रकार ४२वें संशोधन अधिनियम के बाद ही हमारा राष्ट्र 'धर्मनिरपेक्ष' बना |  इसका अर्थ ये बिल्कुल भी नहीं है कि संशोधन से पूर्व हमारा देश किसी धर्म विशेष का समर्थक था | सर्वधर्म समभाव की अवधारणा संशोधन से पहले भी थी और आज भी है | इस शब्द को जोड़ने के पीछे श्रीमती गाँधी का मूल उद्देश्य किसी धर्म विशेष की विचारधारा या सिद्धांत को संविधान की मूल आत्मा पर हावी होने से रोकने का था | 'सर्वधर्म समभाव की' संविधान की मूल भावना जो भारतीय संस्कृति की भी मूल भावना है, को 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द के द्वारा सुरक्षित की गई है | 
         धर्मनिरपेक्ष शब्द नकारात्मक है अर्थात् संविधान के अंतर्गत सभी धर्मों के प्रति समभाव तो रखा जाएगा परंतु कार्यपालिका, विधायिका एवम् न्यायपालिका अपने कर्तव्यों के पालन में किसी भी धर्म की आइडियोलॉजी को आधार नहीं बनाएँगी | इस सम्बन्ध में  भारतीय संविधान में बड़ी ही सुंदर व्यवस्था दी गई है एक तरफ मूल अधिकार के तहत नागरिकों को धर्म एवम् पूजा का अधिकार दिया गया है वहीं अनुच्छेद १५ में राज्य को धर्म, जाती, मूलवंश, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर नागरिकों में विभेद करने से रोका है | कहने का तात्पर्य यह है कि संविधान अपने स्तर पर या अपनी निगाह में सभी धर्मावलंबियों पर समान दृष्टि रखेगा परंतु राज चलाने वालों को धर्म जाती वंश आदि के आधार पर विभेद करने से मना किया है | अब सवाल ये है कि आज की परिस्थितियों में जातिगत आरक्षण को लेकर जो घमासान मचा है या राजनैतिक दलों में जो होड़ लगी है वो संविधान के अंतर्गत समाज के पिछड़ों को आगे लाने की मुहिम है या वोट बैंक की राजनीति है ? -Priyadarshan Shastri